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पौराणिक कारण :
गंगा माता सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी के पुत्र प्रजापति दक्ष जी की पुत्री हैं माँ पार्वती की बहन हैं ।
सभी को ज्ञात है कि पार्वती माँ, शिव, ब्रह्मा जी इत्यादि अत्यंत पवित्र हैं इसी प्रकार गंगा माता भी अत्यंत पवित्र हैं।
गंगा माता पहले स्वर्ग में रहती थीं भगीरथी जी द्वारा उन्हें पृथ्वी पर लाया गया।
गंगा माता को शिव जटा में धारण करते हैं ।
वैज्ञानिक कारण :
वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफ़ाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। शायद इसीलिए हमारे ऋषियों ने गंगा को पवित्र नदी माना होगा। इसीलिए इस नदी का जल कभी सड़ता नहीं है।
वेद, पुराण, रामायण, महाभारत सब धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है। करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डॉक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया।
दिलचस्प ये है कि इस समय भी वैज्ञानिक पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बॉटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के निदेशक डॉक्टर चंद्रशेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है।
प्राकृतिक गुणों से भरपूर औषधीय जल :गंगा जल की वैज्ञानिक खोजों ने साफ कर दिया है कि गंगा गोमुख से निकलकर मैदानों में आने तक अनेक प्राकृतिक स्थानों, वनस्पतियों से होकर प्रवाहित होती है। इसलिए गंगा जल में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो व्यक्ति को शक्ति प्रदान करते हैं। यह जल सभी तरह के रोग काटने की दवा भी है।