देवी महागौरी, माता का आठवाँ रूप हैं। अर्थात नवरात्री के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी का अर्थ है अत्यंत गोरी।
जिस प्रकार माता ने काली का रूप लिया जो अँधेरे के समान काला था, उसी प्रकार माता ने महागौरी का रूप लिया जो अत्यंत सफ़ेद और सुन्दर था। माता के इस रूप की पूजा करने से भक्तों के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।
माता के चार भुजाएं हैं, दो दाएं तरफ और दो बाएं तरफ। उनके एक दाएं भुजा में त्रिशूल और दूसरी अभयमुद्रा में है। जबकि उनकी एक बायीं भुजा में डमरू और दूसरी वरद मुद्रा में है। माता वृषभ की सवारी करती हैं।
माता के इस रूप को कौशिकी भी कहा जाता है। जब माता काली का रूप लेती हैं तो अपना गोरा रूप कौशिकी को प्रदान कर देती हैं।
माता का मंत्र -
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥
|| जय माँ महागौरी ||
