करवा चौथ की कहानी महाभारत से भी जुडी है। जब पांडवों को वनवास हुआ था तब अर्जुन पाशुपतास्त्र प्राप्त करने के लिए नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने चले गए। उनकी अनुपस्थिति में बाकी पांडवों को बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था। द्रौपदी ये सब देख कर व्याकुल हो रही थीं। उन्होंने श्री कृष्ण का स्मरण किया। श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि एक बार स्वयं देवी पार्वती ने भी करवा चौथ का व्रत रखा था।
कुछ महापुरुषों के अनुसार जब पार्वती जी ने व्रत रखा था तब शिव जी ने ही उन्हें वीरवती की कहानी सुनाई थी।
द्रौपदी ने श्री कृष्ण की आज्ञा से विधिवद रूप से करवा चौथ का व्रत रखा और पांडवों की पीड़ा और मुसीबतें कम हो गयीं।